Hartalika Teej 2023: हरतालिका तीज का व्रत भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है। हरतालिका तीज, हरियारी तीज और कजरी तीज के बाद मनाई जाती है।
![Hartalika Teej 2023: हरतालिका तीज कब है? जानिए शुभ मुहूर्त, व्रत कथा, पूजा विधि, महत्त्व और नियम !! Hartalika Teej 2023](https://tajanews24.in/wp-content/uploads/2023/09/14961373_5549190-1024x1024.jpg)
हरतालिका तीज व्रत का महत्व
हिंदू धर्म में हरतालिका तीज (Hartalika Teej 2023) व्रत का विशेष महत्व है। महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, बच्चों की सलामती और परिवार की समृद्धि के लिए हरतालिक तीज का व्रत रखती हैं। ऐसा माना जाता है कि सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति से मिलने के लिए यह व्रत रखा था। इस व्रत में पूरे दिन निर्जल व्रत किया जाता है और अगले दिन पूजन के पश्चात ही व्रत तोड़ा जाता है.
2023 में हरतालिका तीज कब है? (Hartalika Teej 2023 kab Hai/when is hartalika teej):
पंचाग के अनुसार तृतीया तिथि 17 सितंबर को सुबह 11:08 बजे शुरू होगी और अगले दिन 18 सितंबर को दोपहर 12:39 बजे समाप्त होगी. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार यह व्रत 18 सितंबर को ही रखा जाएगा.
हरतालिका तीज 2023 शुभ मुहूर्त (Hartalika Teej 2023 Shubh Muhurt):
18 सितंबर को सुबह 6:00 बजे से रात 20:24 बजे तक का समय शिव-पार्वती की पूजा के लिए उपयुक्त है. लेकिन प्रदोष काल में शाम की सेवा बहुत शुभ मानी जाती है।
हरतालिका तीज व्रत नियम:
हरतालिका तीज (Hartalika Teej 2023) के व्रत वाले दिन महिलाओं को सुबह स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। व्रत रखने वाली महिलाओं को सेवा के दौरान सोलह श्रृंगार करना होता है। इस दिन 16 श्रृंगार करके शिव पार्वती सहित परिवार की मूर्ति बनानी चाहिए और फिर पूरे विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। इससे व्रती को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
हरतालिका तीज क्यों कहा जाता है?
इस व्रत को हरितालिका इसलिए कहा जाता है क्योंकि पार्वती की सहेलिया उन्हें उनके पिता के घर से हरण करके जंगल में ले गयी थी। देवी पार्वती ने भगवान शिव को अपना पति मान लिया और सदैव भगवान शिव की तपस्या में लीन रहीं। पार्वतीजी के मन की बात जानकर सखियाँ उन्हें लेकर घने वन में चली गईं। अत: सखियों द्वारा उनका अपहरण कर लिये जाने के कारण इस व्रत का नाम हरतालिका व्रत कहा जाता है।
हरतालिका तीज व्रत कथा (Hartalika Teej Vrta Katha):
इस व्रत के पीछे माता पार्वती और भगवान शिव की एक बेहद प्रचलित कहानी है. ऐसा कहा जाता है कि देवी सती अपने पिता के यज्ञ में अपने पति शिव का अपमान सहन नहीं कर सकीं। उन्होंने स्वयं को यज्ञ की अग्नि में जलाकर भस्म कर लिया। अगले जन्म में उनका जन्म हिमाचल के राजा के यहाँ हुआ और इस जन्म में भी उन्होंने भगवान शंकर को ही पति के रूप में प्राप्त करने के लिए तपस्या की।
राजा हिमाचल को चिंता होने लगी
राजा हिमाचल अपनी बेटी की हालत देखकर चिंतित हो गए और उन्होंने नाराजी से इस बारे में चर्चा की। उनके अनुरोध पर, उन्होंने अपनी बेटी उमा का विवाह भगवान विष्णु से करने का निर्णय लिया।
पार्वतीजी ने विवाह से इंकार कर दिया
पार्वतीजी विष्णुजी से विवाह नहीं करना चाहती थीं, क्योंकि वे पार्वतीजी के मन की बात जानती थीं, उनकी सहेलियाँ उन्हें घने जंगल में ले गईं। अत: मित्रों द्वारा उसका अपहरण कर लिये जाने के कारण इस चौकी का नाम हरतालिका द्वार रख दिया गया।
पार्वतीजी की कठोर तपस्या
भाद्रपद शुक्ल तृतीया तिथि को हस्त नक्षत्र में पार्वती मां ने रेत से शिवलिंग बनाया और बिना कुछ खाये-पिए स्तुति करते हुए रात बिताई। उन्होंने लगातार 12 वर्षों तक तपस्या की। तब माता के घोर तपस्या से संतुष्ट होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिये और उनकी इच्छानुसार उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया।
हरतालिका तीज पूजा की विधि (Hartalika Teej 2023 Puja Vidhi / how to do hartalika teej puja in hindi):
- हरतालिकी तीज (Hartalika Teej 2023) के दिन सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
- इसके बाद विवाहित महिलाओं को नए या साफ कपड़े पहनने चाहिए।
- इसके बाद हरतालिका तीज के व्रत के दिन पूजा करने से पहले भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मिट्टी की मूर्ति बनाएं, भगवान शिव के पास दीपक जलाएं, संकल्प लें और उनकी पूजा करें।
- मूर्ति स्थापित करने के बाद उसकी विधि-विधान से पूजा करें।
- फिर व्रत की कथा पढ़ें और अंत में आरती कर गलती के लिए क्षमा मांगें।
- दिन में व्रत करने के अलावा रात्रि में जागरण भी करें।
- अगले दिन स्नान आदि के बाद शिव-पार्वती को प्रणाम करें और आरती करें।
- इसके बाद व्रत का पारण करें.