Chhath Puja Kosi Bharne ki Vidhi: हिंदू धर्म में छठ पूजा भगवान सूर्य देव और छठी माता को समर्पित है और यह छठ पूजा कार्तिक मास के षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। छठ पूजा मुख्य रूप से चार दिनों की पूजा होती है जो की नहाए खाए के साथ शुरू हो जाती है। छठ एक ऐसा पर्व है जिसमें शुद्धता और पवित्रता के साथ-साथ नियमों का भी पालन किया जाता है।
इन सब का पालन व्रती को चार दिनों तक करना पड़ता है तब जाकर पर्व सफल होता है। वैसे तो छठ पूजा में निभाई जाने वाली हर एक रिवाज बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। लेकिन कोसी भरने की परंपरा को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। आपने बहुत सारे लोगों को कोसी भरते हुए देखा होगा या फिर सुना होगा लेकिन के आपके मन में भी यह सवाल क्यों भारी जाती है? और कैसे भरते हैं (Chhath Puja Kosi Bharne ki Vidhi)?
कोसी भरने की महत्ता (Chhath Puja Kosi kyo Bhara Jata hai)
पूजा कोसी भरने की परंपरा को बहुत ही महत्वपूर्ण है। मान्यता है कि जब कोई मनोकामना पूरी नहीं हो रही या असाध्य सारे रोग हो तो कोसी भरने का संकल्प लिया जाता है। जिससे मनोकामनाएं पूर्ण होने के साथ ही कष्टों से मुक्ति मिलती है। मनोकामना पूरी होने पर कोसी भरकर छठी मैया के प्रतिआभार व्यक्त किया जाता है।
ऐसा माना जाता है कि जो भी पति-पत्नी पूरे श्रद्धा भाव से छठ माता का पूजन करते हैं उनका स्वास्थ्य ठीक बना रहता है। और निसंतान दंपतियों को संतान सुख की प्राप्ति होती है। छठ पूजा में मुख्य रूप से तीन दिनों के लिए माना जाता है जिसमें नहाए खाए खरना और संध्या आर्ग प्रमुख है। वही मान्यता है कि अगर कोई मन्नत मांगा है और वह छठी मैया की कृपा से पूरी हो जाती है तो उसे कोसी भरना पड़ता है। जोड़े में कोसी भरना शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि कोसी भराई के जरिए छठ मैया का आभार व्यक्त किया जाता है।
कोसी कैसे भरे? (Chhath Puja Kosi Bharne ki Vidhi)
- डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद महिलाएं घर के आंगन में पांच ईखो की मदद से कोसी का निर्माण करती है।
- कोसी के बीच को कुम्हार द्वारा दिए गए गणेश स्वरूप हाथी रखकर उसे दीपों से सजाया जाता है।
- वहीँ गन्ने को खड़ा करने से पहले उसके ऊपरी हिस्से में एक साड़ी के अंदर ठेकुआ और फल आदि रखे जाते हैं
- फिर उसके बाद अंदर मिट्टी के हाथी को रखा जाता है और उसके ऊपर एक घड़ा रखा जाता है
- फिर इस हाथी को सिंदूर लगाया जाता है और घड़े में फल और ठेकुआ सूटनी मूली और अदरक आदि सामग्री डाली जाती है
- इस दौरान कुछ लोग कोसी के अंदर 12 या फिर 24 दीपक भी चलाते हैं इसके बाद महिलाएं पारंपरिक छठ के गीत गाती है
- अंत में कोसी में धूप आदि रखकर हवन किया जाता है और इसमें छठ मैया से मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए कामना की जाती है
- तो इस तरीके से कोसी भराई होती है